क्या है सिंगल यूज़ प्लास्टिक ?
2 अक्टूबर 2019 को हम महात्मा गांधी की 150 वीं जयन्ति मनाने जा रहे है। इस अवसर पर सम्पूर्ण देश में सिंगल यूज़ प्लास्टिक को बेन करने के कार्यक्रम चलाया जा रहा हैं, जो पर्यावरण हितकारी होगा । क्या हैं सिंगल यूज़ प्लास्टिक ? प्लास्टिक और सिंगल यूज़ प्लास्टिक में क्या अंतर हैं ?
सामान्य अर्थों में प्लास्टिक जिसका एक ही बार उपयोग किया जा सके सिंगल यूज़ प्लास्टिक हैं , अर्थात एक बार यूज़ करने के बाद कूड़े में चली जाती हैं तथा जिसका बहुत ही कम भाग पुनःचक्रित हो पाता हैं । इसके अंतर्गत प्लास्टिक कैरीबैग, कप, शीट, पैकिंग में प्रयुक्त होने वाली प्लास्टिक आदि आते है।
* प्लास्टिक और जुर्माना -
नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी) के अनुसार 50 माइक्रोन से पतली प्लास्टिक जिसका पुनःचक्रण कठिन होता है ।
नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी) ने 50 माइक्रोन से पतली प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था. ऐसे प्लास्टिक की बिक्री, स्टोरेज और उपयोग पर प्रतिबंध हैं । 50 माइक्रोन से पतली प्लास्टिक रखने पर जुर्माना भी है ।
यदि किसी के पास 50 माइक्रोन से पतली प्लास्टिक का स्टॉक 100 किलोग्राम तक है तो 2 लाख का जुर्माना तथा इससे अधिक होने पर 5 लाख का जुर्माना है।
* आखिर हम क्यों प्लास्टिक पर इतना निर्भर हैं ?
आखिर हम क्यों प्लास्टिक पर इतना निर्भर हो गए ? आज हम प्लास्टिक पर इतना निर्भर हैं की इसका विकल्प ढूढने में भी असमर्थ है । इसका मुख्य कारण है बीते दशक में हमारी जीवन शैली में इतना परिवर्तन हुआ है की हम रोजमर्रा की चीजो में प्लास्टिक को ज्यादा महत्व देने लग गए है। आज हम पैकिंग की गयी सामग्री का ज्यादा इस्तेमाल करने लग गए हैं। पैकिंग में सबसे ज्यादा प्लास्टिक का उपयोग होता है । हम मार्केट से जो भी सामग्री लाते है अपनी सहूलियत के लिए उसे प्लास्टिक के कैरीबैग में पैक करवा कर लाते है । प्लास्टिक के विकल्प कम है इसलिए इसका उपयोग एकदम से बन्द नही हो सकता है। दूसरे जो इसके विकल्प मौजूद है वो बहुत महँगे है। हम प्लास्टिक को इसलिए भी प्राथमिकता देते हैं कि यह हल्की होती है, यह अनभिक्रियाशील होती है, यह सस्ती होती है, इसके उपयोग में आसानी रहती है।
* प्लास्टिक के प्रभाव -
आज संसार में सबसे ज्यादा कूड़ा है प्लास्टिक का , शहरों की नालियां प्लास्टिक कूड़े से अटी पड़ी है । समन्द्रों में दिनों-दिन प्लास्टिक वेस्ट इकठ्ठा होता जा रहा जो समुंद्री जीवो के लिए हानिकारक है, समुन्द्र में फ्लोटिंग प्लास्टिक कई जीवो के परिवहन का कार्य करती है, जो समुंद्री पारिस्थितिकी के लिए खतरा है।
प्लास्टिक जैव अनिम्नीकरण होती है, अर्थात इसका किसी जैव प्रक्रम द्वारा अपघटन नही होता है। यह कई सालो तक मृदा में पड़ी रहती है, जिससे मृदा की उर्वरा क्षमता में कमी आ जाती है। प्लास्टिक को जलाने पर हानिकारक गैसे निकलती है, जो जीवो के श्वसन तंत्र को प्रभावित करती हैं।
हमें एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते प्लास्टिक नियंत्रण के लिए निम्न बातों को फॉलो करना चाहिए -
1. यथासंभव प्लास्टिक के उपयोग से बचिये।
2. मार्केट जाते समय घर से कपड़े या जूट का थैला लेकर निकलना चाहिए, जिससे हमे प्लास्टिक की थैलियों में सामान नही लाना पड़े।
3. खाने की वस्तुओं के लिए धातु के पात्रो का उपयोग करना चाहिए।
4. प्लास्टिक कूड़ा नदी नालो में नही फेंकना चाहिए।
5. 4R सिंद्धात का पालन करना चाहिए-
¡ Re_duse ( उपयोग कम करिये )
¡¡ Re_use ( पुनःउपयोग )
¡¡¡ Re_cycle ( पुनःचक्रित )
iv Re_cover ( पुनः ठीक करना )
6. प्लास्टिक के हानिकारक प्रभावों को बताकर लोगों में जागरूकता लाना।
धन्यवाद ।
श्रवण गांधी जायल ( नागौर )
Comments
Post a Comment